प्यार करने वाले कुछ अलग होते हैं, उनकी बातें भी फलक से उतरी हुई सी लगती हैं। उनके भावों में महापुरुष आ कर बैठ जाते हैं जिन्हें सारे कालों का ज्ञान होता है। ऐसे ही पल का जिक्र जब इमरोज से किया तो बोले,
एक बार अमृता और मैं सड़क पर चले जा रहे थे, तब हम साथ साथ नहीं रहते थे। अमृता को न जाने क्या सूझी, रूकी और पूछने लगीं,
तू पहले वी किसे ना इंज तुरिया एं
(तुम पहले भी इस तरह से किसी के साथ चले हो )
मैंने कहा,
मैं तुरिया ते बोत हां पर किसे नाल जागिया
(चला तो बहुतों के साथ हूं लेकिन जागा किसी के साथ नहीं।)
मेरी बात सुन कर अमृता ने मुझे गौर से देखा , जैसे कुछ जानने और समझने का प्रयास कर रही हो, फिर कुछ मिनट बाद उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और वो मेरा हाथ पकड़ कर ऐसे चलने लगी जैसे उसने सारी हदे। सरहदें पर कर ली हो, उसके चेहरे पर एक अनोखा गर्व मैंने उस दिन महसूस किया। उस दिन एक गहरे रिश्ते ने जन्म ले लिया था।
आगे चल कर उनका यह रिश्ता ऐसा बना जो रगों में बहते खून की तरह हो गया। सच तो यह है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसे रिश्ते को पहली बार महसूस किया था।
एक जगह अमृता ने लिखा भी है,रिश्ते भी बड़ी अजीब चीज हैं। इनके अर्थ भी अलग हैं। कोई रिश्ता गले में पहने हुए कपड़े की तरह से होता है जिसे कभी भी गले से उतारा जा सकता है पर कोई रिश्ता नसों में बहते हुए खून की तरह से होता है जिसके बिना इंसान जिंदा नहीं रह सकता है। कोई रिश्ता ऐसा भी होता है जो बदन की खुजली की तरह से होता है , नाखूनों से खरोंच कर उसे कोई जितना भी हटाना चाहे, उतना ही वह बदन की चमड़ी में रसे जाता है। रिश्तों की इतनी गहरी बयानी अमृता ने क्यों कर की, ये फिर कभी सही----
Thursday, December 4, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
20 comments:
वास्तव में मानिवंदर,
अमृता-इमरोज के रिश्ते को शब्दों में पढ़ना हमेशा एक अद्भुत अनुभूति रहा है। जैसे प्रेम आकंठ आप में उतर रहा हो.... मैंने कुछ दिन पहले अमृता-इमरोज के पत्र पढ़े थे और उन्हें अपने कुछ रूखे मित्रों को पढ़वाए बिना नहीं रह सकी। और यकीन मानिए... वे स्तब्ध थे। रिश्तों को शब्दों में ढालना और उसससे भी ऊपर प्रेम को शब्द देना... वो भी इस आकार में... मेरे तो शब्द ही निरर्थक हो जाते हैं। रिश्तों की यह परिभाषा यहां प्रस्तुत करने के लिए शुक्रिया।
भावुकता भरा प्रसंग लिखा है आपने। कुछ बातें केवल दिल से ही समझी जाती हैं।
ये रिश्ते भी न..!!!
यही बातें तो अमृता और इमरोज़ की और उनसे जोड़ देती हैं ..कहाँ है यह सब जज्बे और बातें अब ..
प्यार करने वाले कुछ अलग होते हैं, उनकी बातें भी फलक से उतरी हुई सी लगती हैं। उनके भावों में महापुरुष आ कर बैठ जाते हैं जिन्हें सारे कालों का ज्ञान होता है।
" enjoyed reading it, just extraordinary thoughts..."
Regards
अनुभूतियों के गहरे वितान तने हैं यहाँ, इस प्रविष्टि में . हर एक शब्द के बाद लगता है जैसे प्रेम का सम्पुट आकर लग गया हो . इस प्रेमपूर्ण भाषा की ऐसी प्रविष्टियों के लिए कोटिशः धन्यवाद .
कोई रिश्ता गले में पहने हुए कपड़े की तरह से होता है जिसे कभी भी गले से उतारा जा सकता है पर कोई रिश्ता नसों में बहते हुए खून की तरह से होता है जिसके बिना इंसान जिंदा नहीं रह सकता है।
न जाने कितनी बार आपका ब्लॉग खोल कर देखता हूँ, कितनी बार आप का लिखा पड़ता हूँ
रिश्तों को इतनी गहराई से आप लिखती हैं की पड़ते रहने को दिल चाहता है
खूबसूरत लेखनी
"कोई रिश्ता नसों में बहते हुए खून की तरह से होता है जिसके बिना इंसान जिंदा नहीं रह सकता है।"
रिश्तों को शब्द अमृता से बेहतर कोई दे ही नही सकता, इमरोज और अमृता नाम नही दो भाव है,
आपको धन्यवाद
कोई रिश्ता गले में पहने हुए कपड़े की तरह से होता है जिसे कभी भी गले से उतारा जा सकता है पर कोई रिश्ता नसों में बहते हुए खून की तरह से होता है जिसके बिना इंसान जिंदा नहीं रह सकता है।
रिश्तों की अहमियत और परिभाषा प्यार करने वाले ही जानते और जीते हैं
अच्छी पोस्ट !!!
Universal Truth...... बेहतरीन प्रस्तुति के बधाई स्वीकारें
आपके इस व्लाग ने रिश्तों की परिभाषा का आईना दिखाया है । रिश्ते तो प्यार के सहारे ही खडा़ रह सकता है । बहुत अच्छा !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति संस्मरण की
Kahan hain aajkal aap ?
क्या कहूँ मनविंदर...? सच कहा आपने कुछ रिश्ते हमें न चाहते हुए भी ओढने पडते हैं और जिन्हें हम ओढना
चाहते हैं वो अपने बीच एक खाई बिछाये बैठे रहते हैं...हर कोई अमृता तो नहीं बन सकता न....?
"Pratham Pravakta" ke 1 December ke ank men aapka Blog prakashit huya hai.
नववर्ष की आपको बहुत-बहुत बधाई। ये पंक्तियां मेरी नहीं हैं लेकिन मुझे काफी अच्छी लगती हैं।
नया वर्ष जीवन, संघर्ष और सृजन के नाम
नया वर्ष नयी यात्रा के लिए उठे पहले कदम के नाम, सृजन की नयी परियोजनाओं के नाम, बीजों और अंकुरों के नाम, कोंपलों और फुनगियों के नाम
उड़ने को आतुर शिशु पंखों के नाम
नया वर्ष तूफानों का आह्वान करते नौजवान दिलों के नाम जो भूले नहीं हैं प्यार करना उनके नाम जो भूले नहीं हैं सपने देखना,
संकल्पों के नाम जीवन, संघर्ष और सृजन के नाम!!!
नव वर्ष में वंदन नया ,
उल्लास नव आशा नई |
हो भोर नव आभा नई,
रवि तेज नव ऊर्जा नई |
विश्वास नव उत्साह नव,
नव चेतना उमंग नई |
विस्मृत जो बीती बात है ,
संकल्प नव परनती नई |
है भावना परिद्रश्य बदले ,
अनुभूति नव हो सुखमई |
वर्ष २००९ जीवन में सुख-समृधि और शान्ति ले कर आए।
नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।
rishton ki itni sundar prastuti , unhein itne sundar shabdon mein dhalkar bayan karna.........jaise har rishtey ko usi roop mein jikar shabdon mein dhala ho..........bahut hi sundar.......shabd nhi hain bayan karne ke liye.
Post a Comment