अमृता जी! जन्म दिन मुबारक हो, आप जहां भी होंगी, तारों की छांव में, बादलों की छांव में ,सब कुछ देख रही होंगी, आपको मेरी और आपके सभी चाहने वालों की ओर से जन्म दिन मुबारक।
आज मुझे वह दिन भी याद आ गया जब मैं अमृता से मिलने उनके निवास हौसखास गई थी। उस दिन वे बहुत बीमार थी या यूं कहिए कि वे बीमार ही चल रही थी उन दिनों, ज्यादा बोल नहीं पा रही थी लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे कुछ पल दिये, वो कुछ पल मेरे लिये सदैव अनमोल रहेंगे। यह मुलाकात मैं अकेले नहीं करना चाहती थी , लेकिन जब मिलने की घड़ी आयी तो मैं अकेले ही गई। मैंने इमरोज और अमृता दोनों से बातें की, यूं समझ लें कि उन पलों में हर बात जानने के लिये जल्दबाजी महसूस हो रही थी। उनके लेखन के बारे में , उनके और इमरोज के साथ साथ जीवन गुजारने के बारे में , उनके परिवार के बारे में, दुनिया की सोच के बारे में। सभी बातें हुई भी। उन्होंने औरत, प्यार, संबध और समाज सभी पर खुल कर कहा, उनके इस कहने में इमरोज ने काफी मदद की क्योंकि वे बोल नहीं पा रही थी। वैसे भी अमृता का जिक्र हो, इमरोज का न हो, ये कैसे हो सकता है?
वो सब मैंने सखी के अप्रैल २००३ के अंक में एक आर्टीकल "अपनी बात" में समेटा। सखी जागरण ग्रुप की महिला मैगजीन है। उस समय मैं जागरण ग्रुप के साथ ही जुड़ी थी। इसे आप भी पढ़ सकते हैं।
सालों बाद ,अभी पिछले सप्ताह फिर मेरी मुलाकात इमरोज से हुई, बहुत सी बातें हुई उनसे। मेरा फोकस था कि वे अमृता के बगैर कैसे समय बिता रहे हैं, उन्होंने मेरे इस जुमले पर एतराज किया, कहा, अमृता को पास्ट टेंस में मत कहो, वो मेरे साथ ही है, उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं। मैं कहीं भीतर तक उनकी इस बात से अभिभूत हो गई। फिर मन में ख्याल आया, अरे मैं तो आज भी अकेली ही आयी हूं। बेइंतहा मोहब्बत की कहानी को जान कर उनके सच्चे किरदारों को मिल कर ´कुछ` याद आ जाना लाजमी है। आज कहां है ऐसे प्यार करने वाले????
बहुत बातें हुई, बहुत देर बातें हुई, वो मैं अगली पोस्ट में लिखूंगी।
एक बात और .... इस ब्लॉग की शुरुआत शायद इसी पोस्ट के साथ होनी थी ....ये इस ब्लॉग पर पहली पोस्ट है ....कुछ खास हस्तियां....इस ब्लॉग में पहला कदम अमृता का....... आपको कैसा लगा ?
20 comments:
बेहतर शुरुआत ।आपकी अगली पोस्ट का इंतज़ार है।
पहली पोस्ट और वो भी अमृता जी की इससे अच्छी और क्या शुरुआत हो सकती थी।
आगे भी आपकी पोस्ट का इंतजार रहेगा।
bahut aChee baat hai ki ek sahitya ke liye aur khoobsurat laDii juR rahi hai.
shubhkamnaye.n
apka naya blog bahut bhawpurn hai...amrita ji ke baare mai apki bhaawnaye bhi achchi lagi
अमृता जी की एकाध रचनाओं को पढने का मौका मुझे मिला है.पंजाब की लोक संस्कृति का जो जीवंत चित्रण उन्होंने किया है वह अतुल्य है. ऐसे सृजनकार के उदघाटन लेख से अच्छा प्रारम्भ हो ही नहीं सकता. आपने तो उनसे मिल पाने का सौभाग्य प्राप्त किया है. निश्चय ही अनुभूति से निःसृत लेखन का कोई विकल्प नहीं हो सकता.
bahut badhiya.
सही कहा उन्होंने, अच्छे लोगों को पास्ट टेंस में नहीं कहना चाहिए. वो जिस्म छोड़ा करते है, साथ नहीं. बहुत सुंदर रचना है. ऐसी सुंदर रचनाएं बांटती रहिये सब के साथ.
अच्छी शुरुआत। अगली पोस्टों का इंतज़ार रहेगा।
… और हाँ, टाइम फॉर्मेट शायद अमेरिका का है, उसे ठीक करलें तो बेहतर।
अच्छी प्रस्तुति.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है अमृता जी के बारे में जानकारी के लिए बहुत आभार
पधारें यहाँ भी manoria.blogspot.com
kanjiswami.blog.co.in
अमृता जी और इमरोज जी के साथ का आपने अपना अनमोल अनुभव बाँटा। शुक्रिया।
bahut hi sundar abhivyakti.....word verification bhi ho sake to hata de
aage ka intizar hai..
..meri post par tippni ka dhnyawad.
Blog ki duniya me.n aapka swagat hai. Aagaz bahut achchha hai.
Badhai
अमृता जी को याद करना सचमुच अंतर्मन तक छू गया. सचमुच अमृता जी को याद करने का इससे अच्छा तरीका कुछ भी नही हो सकता था. अमृता जी हमारी और से भी सत सत नमन .आप बधाई स्वीकार करें इतना अच्छा लेख लिखने के लिए.
bhut koobh likha h
शुभारम्भ, आधा खतम ।
अच्छा लगा पढकर और सोचता हूँ कि आप खुशनसीब हैं जो अमृता प्रीतम जैसी हस्ती से मिलने का अवसर मिला।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
आपका स्वागत है. आपकी अगली पोस्ट का इंतज़ार है. शुक्रिया।
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