Monday, November 10, 2008

ऐसी थी मेरी अमृता

इमरोज को अमृता कितना चाहती थी, उन्हें किस रूप में देखती थी, इसके लिये किसी शब्दकोष में कोई शब्द उपलब्ध नहीं है। इएरोज अमृता के लिए क्या थे इसे आप महसूस कर सकते हैं . अमृता के कहे शब्दों में, ''वे चांद की परछाइयों में से रात के अंधेरे से उतरे और मेरे सपनों में चले ''''एक दिन उन्हें कोई घर ले आया। वे बंबई से लौटे एक पेंटर थे, सुंदर चित्र बनाते थे, उनका नाम इमरोज था। मुझे वे बिलकुल खमोश से लगे, जैसे कुछ बोलते ही न हों। फिर मुझे लगा, जैसे वे मुझसे कुछ कह रहे ''।

मैंने इमरोज से पूछा , आप क्या सोचते हैं अमृता के बारे , उनके वजूद के बारे में। वे हंस दिये और अपनी एक नज्म सुनाने लगे।
उन्होंने नज्म पंजाबी में सुनायी जिसे मैं हिंदी में अनुवाद कर प्रस्तुत रही हूं । नजम का नाम है ''मनचाही ''


सपना सपना हो कर
औरत हुई
और अपनी मर्जी का सोचा

फिक्र फिक्र हो के
कविता हुई
वारिस शाह को जगाया
और कहा
देख ले
अपने पंजाब को लहुलुहान

मोहब्बत मोहब्बत हो कर
राबिया हुई
किसी को भी
नफरत करने से इंकार किया
और अपने वजूद से बताया
कि मोहब्बत कभी नफरत नहीं करती

जिन्दगी जिंदगी हो कर
वो मनचाही हुई
मनचाहा लिखा
और मनचाहा जिया


पूछा, राबिया कौन थी, वे बोले, जिसने पवित्रा कुरआन से खिलाफत कर दी थी

27 comments:

Alpana Verma said...

अमृता जी के बारे में जितना पढ़ा जाए उतना कम लगता है...नज़्म बेहद खूबसूरत है

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर ..सही लिखा इमरोज़ जी ने

seema gupta said...

मोहब्बत मोहब्बत हो कर
राबिया हुई
किसी को भी
नफरत करने से इंकार किया
और अपने वजूद से बताया
कि मोहब्बत कभी नफरत नहीं करती
" bhut suder, liked reading it"

Regards

Anonymous said...

sahi haie mohobbat ki dastan jitni padhe aurkhubsurat lagti hai,bahut sundar nazm

makrand said...

bahut sunder rachan

ओमकार चौधरी said...

मोहब्बत...
कभी नफरत नहीं करती !
सत्य वचन. बहुत खूबसूरत पक्तियां है. जहाँ नफरत है, वहां मुहब्बत नहीं हो सकती.

डॉ .अनुराग said...

सोचता था इस सदी में अब हीर रांझा जैसे लोग मिल नही पायेगे ....ग़लत था ....

सुप्रतिम बनर्जी said...

बढ़िया।

Dileepraaj Nagpal said...

Jee Bhar Ke Roye To Karaar Paya, Is Daur Me Kisne Sachcha Pyar Paya
Zindagi Guzar Rahi Hai Imtihano Ke Daur Se, Ek Zakhm Bhara Nahi, Dusra Taiyaar Paaya.
अहा जिंदगी में अम्रता जी के कुछ पत्र पढ़े थे1 अच्छा लगा1 शुक्रिया

manju said...

wonderful expression

bahut khoobsoorat bhav bikher diye jindigi ke caanvas par Imroz ji ne.

dr. manju gupta

manju said...

bahut khoovsoorat bhav bikher diye zindigi ke canvas par Imroz ji ne.

its absolutely true.
Jaha mohabaat , vahan nafrat nahi panpati,
Par nafrat ke registan mein mohabbat ke phool nahi khilte.

Dr. Manju Gupta

बवाल said...

Bahut badi aur bahut umda baat likhi hai aapne is post par. kya kahna !

अमिताभ मीत said...

कमाल है. बहुत अच्छी लगी पोस्ट. शुक्रिया.

Vinay said...

बहुत बढ़िया लेख!

chandramani mishra said...

nice lines

मोहन वशिष्‍ठ said...

सच आपके पास अमृता जी और इमरोज साहब के बारे में लिए कुबेर का भंडार है और उसमें से हमको भी दे रहो हो इस‍के लिए शुक्रिया बाकी अल्‍पना ही ने कह दिया है मैं उनके साथ बिल्‍कुल सहमत हूं अगली पोस्‍ट का बेसब्री से इंतजार

"अर्श" said...

सपना सपना हो कर
औरत हुई
और अपनी मर्जी का सोचा

bahot unchi bat kahi aapne aapki thinking kitni gahari hai isrf isse se hi pata chalta hai . bahot hi umda lekhani lagai aapne .. aapko dhero badhai..

Jimmy said...

very nice post dear


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समयचक्र said...

बहुत सुंदर.नज़्म सुंदर है....

प्रदीप मानोरिया said...

हमेशा की तरह उत्तम आपकी प्रवाह युक्त रचना !!!! स्वागत है

दिगम्बर नासवा said...

हमेशा की तरह
ये भी दिल के किसी कोने मैं जा कर अटक गयीं
आपकी रचनाएँ पड़ कर दर्द दिल के आस-पास सिमिट आता है

हरकीरत ' हीर' said...

बहोत अच्‍छा लिखा मनविन्‍दर जी... बधाई। अमृता जी पर लिखते रहियेगा अच्‍छा लगता है पढकर।

अनुपम अग्रवाल said...

जिन्दगी जिंदगी हो कर
वो मनचाही हुई
मनचाहा लिखा
और मनचाहा जिया
आपकी कलम और प्रस्तुति से सबको मनचाहा मिला .
बधाई

प्रदीप मानोरिया said...

आप गद्य भी बहुत प्रभावी प्रवाह के साथ रचती है आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है

shama said...

Manvindarji...aaj apne blogpe aapko nyota dene aayi hun...kuchh karne jaa rahi hun aur aapka saath aur shubhkamnayen chahti hun...yaqeen hai aap niraash karhi nahee sakti...!

vijay kumar sappatti said...

ab main kya kahun, itni sundar nazm padhne ke baat kuch kahne ke liye shabd bhi to chahiye ..

aapko bahut bahut badhai

maine kuch naya likha hai , aapka aashirwad chaiye.


vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

Unknown said...

Nice Poem..............