जब हम प्यार में होते हैं तो कभी कभी अंदर से काफी कमजोर हो जाते हैं, यह कमजोरी भावनाओं में दिखना शुरू हो जाती है। इसे मैंने तब महसूस किया जब किसी ने मेरे छोटे बेटे के लिये बताया कि इसके साथ कोई दुर्घटना होगी। मैं डर गई। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया, दिल ने ज्यादा सोचना शुरू कर दिया। कई पंडितों के चक्कर काटे, सभी ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। उसके ग्रह ठीक हैं। कईयों ने उपचार भी बताए, वे भी मैंने कर दिये लेकिन मन तो डर ही गया था एक बार को। इसके लिये मुझे साइक्लोजिस्ट से अपनी अपनी कांउसलिंग भी करनी पड़ी, ताकि दिमाग काम करे, दिल जरा कम सोचे। अब सोचती हूं, सब की चिंता रब करेगा, मैं क्यों चिंता करूं ? ऐसा ही अमृता प्रीतम जी के साथ भी हुआ। इमरोज के साथ रहने से पहले उन्होंने ज्योतिषी से पूछा, ये रिश्ता केसा रहेगा? ज्योतिशी ने कहा,ढायी घंटे, वे चौकीं, फिर अंदर से उन्हें लगा कि ज्योतिशी का हिसाब कच्चा है क्योंकि उसके पास प्रेम की नजर ही नहीं है। प्रेम के हिसाब से चला रिश्ता आज भी जिंदा है, सच तो यह था कि वे इमरोज को खोना नहीं चाहती थी। वे कभी कभी अपने उपन्यासों और नज्मों में भी ऐसे सवाल छोड़ती रहीं हैं जो यह बताते हैं कि व्यक्ति प्यार में काफी कमजोर भी हो सकता है। एक पल में प्यार आपका संबल है तो दूसरे ही पल खो जाने के भय से कहीं मन में कमजोरी भी आती है। इमरोज को तो इस रिश्ते पर पूरा भरोसा था। अब यह रिश्ता अक्षरों में जिंदा है। इस नज्म में प्यार के बारे में इमरोज कहते............
प्यार में
मन कवि हो जाता है
ये कवि
कविता लिखता नहीं
कविता जीता है
सारे शब्द सारे रंग
मिल कर भी प्यार की तस्वीर नहीं बना पाते है।
हां! प्यार की तस्वीर देखी जा सकती है
मोहब्बत जी रही जिंदगी के आइने में
34 comments:
मनविंदर जी आप भी किन की बातों में आ गईं वैसे मां बाप की बच्चे के प्रति चिंता संभव है लेकिन किसी के कहने से कुछ नहीं होता करने वाला ऊपरवाला होता है चिंता कोई समाधान नहीं होती समाधान केवल सावधानी बाकी नज्म अच्छी लिखी है आपने बधाई हो
bilkul thik kaha aapne.. apne behad kareibi vyakti ki khushiyo ke liye hum kuch bhi kar jate hai..
bahut badhiya lekh..
मनविंदर जी सच में प्रेम से बङी कोई शक्ति नही।
प्यार ही जीवन में खुशबू को बनाये रखता है जिससे जीवन की खुशियां महकती है।
आपने सही कहा । मां के लिए बेटा और बेटे के लिए मां कितना अटूट रिश्ता । आप का लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा जी ।धन्यवाद
khobsoorat khyal ko utne hi narm shabdo main bayaN kiya hai...
आपने बिल्कुल सही कहा है कि जब हम प्यार में होते हैं तो कभी कभी अंदर से काफी कमजोर हो जाते हैं... यह कमजोरी भावनाओं में दिखना शुरू हो जाती है...बच्चे को कोई कष्ट हो ,तो हम वह बर्दाश्त ही नहीं कर पाते।
अच्छा लगा जी यह
प्यार होता ऐसा ही हैं। चिंता भी स्वाभिक है।
हां! प्यार की तस्वीर देखी जा सकती है
मोहब्बत जी रही जिंदगी के आइने में
सच।
प्यार के एहसास से ही सांसें महक जाती हैं बहुत सुंदर
बहुत सुंदर लिखा है. बधाई स्वीकारें.
सच कहा आपने प्रेम आदमी को कमज़ोर कर देता है।
par kabhi kabhi yahi pyar aadmi ko majboot bhi bana deta hai..
sundar nazm badhaiyaan
प्यार की भावना को खुदा की नियामत ही बनाए रखे इन्सान...उससे कम या ज्यादा में पूरी कैमिस्ट्री ही बदल जाती है..
सही लिखा है
आपने मेरा ई-मेल पता मांगा है। हाजिर है: anuja916@gmail.com
Bahut accha likha hai.
आपने तो मन की बात कह दी!
pyar ko apse acha kaun jaan sakta h mam. very nice
बडा गजब के लिखत हाववर मनविंदर जी आपमन, सिरतोन केहेव ।
sach hai bhavnaaye mahaan hoti hain
aur prm to ba ba re baba
सही कहा आपने. प्यार इंसान को कमज़ोर बना देता है, तभी तो वो अहिंसक होता है.
बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट. कविता भी...
...... तावीज़ें भी बंधवावोगे जब इश्क कहीं हो जाएगा।
शायद हमारे अन्दर का डर हमें कमजोर करता है।
बहुत बढ़िया...
आज कल हमारे ब्लॉग पर आना बंद किस व्रत के तहत चल रहा है आपका. :)
हां ठीक कहा जी आपने
और समीर भाई वाली बात मैं भी कह सकता हूं पर आज नहीं कल कहूंगा आज मेरा व्रत है
प्यार में
मन कवि हो जाता है
ये कवि
कविता लिखता नहीं
कविता जीता है
सारे शब्द सारे रंग
मिल कर भी प्यार की तस्वीर नहीं बना पाते है।
हां! प्यार की तस्वीर देखी जा सकती है
मोहब्बत जी रही जिंदगी के आइने में।
प्यार का सटीक वर्णन है। इमरोज की इस खूबसूरत कविता को पढवाने का शुक्रिया।
Kafi ache lage vichar aapke. Sahi baat hai, pyar insaan ki kamjori bhi hai aur sambal bhi.
फकीरी सबको नसीब नही होती। मौहब्बत तो सब करते है, लेकिन कितने है जिन्होने मौहब्बत को जी लिया है। अमृता-इमरोज एक दूसरे के पूरक रहें है.....लेकिन आपके ब्लॉग पर कुछ अहम हिस्सा तो बिल्कुल छूटे ही जा रहा है, ऐसा क्यों।
तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
प्यार मे बड़ी ताक़त होती है।
manvender ji aapne amrita preetam ji ki zindagi par roshni daal kar hume roshn kar diya hai. bahut hi shandaar vivran, aapne itne sehj dhang se pyar ke falsfe ko samjha diya, adbhut
badhai sweekaren.
मनविंदर जी मन की भावनाओं का असर सारे शरीर पर होता है जो कि एक वैज्ञानिक तथ्य भी है. आपने अमृता प्रीतम जी के बारे में लिखा है बहुत अच्छा लगा शायद आपने उनकी किताब "रशीदी टिकट" पढ़ी होगी बहुत इमानदारी, हिम्मत और बेबाकी से लिखी गयी यह किताब बहुत ही सुंदर रचना है.
न जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा है बहुत जल्दी आपका ब्लॉग बहुत हिट हो जायेगा। हालाकिं अभी मैने कुछ पड़ा नही है वैसे आप चाहें तो अपनी दूसरी फोटो भी लगा सकती है। और अगर आप अपने ब्लॉग से सारी पोस्ट ( लेख जो, थोड़े ही है) हटा भी दे तो भी ये हिट हो जायेगा जी। लोग तो खाली पर ही टिप्पणी कर देगें। आपका तो जी बस नाम ही काफी है।
हाँ अक्सर हम प्यार में कमजोर हो जाते हैं ....मगर अक्सर हमारी कमजोरी सामनेवाले को मजबूती प्रदान करती है ...सच्च !!
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